Tuesday, May 22, 2012

poems unki yad me!!!

1.
Intzaar.........

Dil jal raha tha kuch is tarah unki yaad mein,
Jalti hai jise taraha chita samshan mein,
Pi rahe cigerate uda rahe the dua unki yaad mein,
Maut bhi na ayi unke intzar mein,
Ro rahi thi ankhe unki intzar mein,
Machal raha tha dil unke pyar mein,
Betabi ka alam kuch is tarha bedta gaya,
Jaise samandar mein baad ka pani chadta gaya,
Hai agar mohabbat unhe humse tho jarur ayege,
Hum jindgi bhar karge intzaar kabi na bhul payege
Who chod k gaye the humko jaha Usi jagah p payege.........

2.
ऐ पतंग उड़ जा तुझे सन्देश मेरा लेकर जाना हँ,
सात समंदर पार हँ कोई, इसे वहां तक पहुँचाना हँ
चाहे कितनी ही बाधाएं बीच राह मैं तुमको आयें,
चाहे कितने चक्रवात भी बीच राह मैं तुम्हे डराए
मत होना तुम विचलित तुमको आगे ही बढ़ते जाना हँ,
सात समंदर पार हँ कोई, इसे वहां तक पहुँचाना हँ
कहना उसे छोर दूजे पर, ऐसे कई लोग रहते हैं,
जो हर पल हर उत्सव के दिन, याद तुम्हें जी भर करते हैं
छत पर बैठ पतंग देखना, याद तुम्हें भी आता होगा,
अपनों संग त्यौहार मनाना, आज भी तुम्हें भाता होगा,
जाने किस दिन तुम नन्हे संग, देश अपने वापिस आओगी
और बैठ कर साथ हमारे, खीच लापसी तुम खाओगी
जब वो तुमको छू लेगी तब, मन खुशियों से भर जायेगा
और मेरा सन्देश मेरी उस अपनी को भी मिल जायेगा
3.
i hide my tears
when
i say your name
but,pain in my
heart
is still the same
although i smile 'n' seem
care free
but
there is no one
who
misses you
more than me.....................

4.
यादो से तेरी दूर ना करे .....

वक़्त मुझे इतना भी मजबूर ना करे,
कम से कम यादो से तेरी दूर ना करे.
शोहरते बदल देती है रिश्तो के मायने,
मुकद्दर मुझे इतना भी मशहूर ना करे.
कम से कम यादो से तेरी दूर ना करे.
दौलत ,तरक्की या फिर कामयाबीया मेरी ,
ये वक़्त की ऊंचाईया मगरूर ना करे.
कम से कम यादो से तेरी दूर ना करे.
जुदाई भी दी है उन्होने तौफे में 'शफक' ,
कैसे भला कोई इसे मंजूर ना करे.
कम से कम यादो से तेरी दूर ना करे

5.
तेरे हाथों से छूटी जो, मैं मिट्टी से हम-वार हुई
हँसती - खिलती सी गुड़िया थी, इक धक्के से बेकार हुई

ज़ख़्मों पर मरहम देने को,जब उसने हाथ बढ़ाया तो
घायल थी मैं ना उठ पाई, वो मरहम भी तलवार हुई

ये गरम फ़ज़ा झुलसाएगी, पाँवों में छाले लाएगी
देती थी साया अब तक जो, अब दूर वही दीवार हुई

लम्हों की बातों में जिसने सदियों का साथ निभाया था
ये कुरबत फिर मालूम नहीं, क्यूँ उसके दिल पर भार हुई

अब तो हैं खामोश ये लब, सन्नाटा है ज़हन में
तन्हाई इस महफ़िल की , महसूस मुझे इस बार हुई

साथ गुज़ारे लम्हे अब, बन फूल महकते दामन में
करती शुकराना उन लब का , जिससे “श्रद्धा” इक प्यार हुई

6.
I miss u
when i am bore
I miss u
when i am alone
I miss u
when i am worried
I miss u
when i am happy
I miss u
when i am confused
I miss u
when i am upset
I miss u
when i think about u
I miss u
when i am in tension
I miss u
365 days
I miss u
52 weeks
I miss u
12 mths
I miss u
8760 hrs
I miss u
525600 mins
I miss u
31536000 sec

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