Tuesday, June 5, 2012

ए बेवफा!
तू याद रख
यही दीवानगी
थी कल तक
तू झुठला रही है
मैं जाता रही हूँ
नाराज़गी है
मुझमे भी
कैसे भूलून
तेरे मीठे वादे
मोहब्बत के
वो इरादे
मैं खफा हूँ
तन्हा हूँ
मैं ज़िंदा हूँ
तू हर लम्हा
झुठला, ए बेवफा!

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