भेजी रब ने
एक नन्ही बिटिया
माँ की गोद में ।
एक नन्ही बिटिया
माँ की गोद में ।
पायल बाँधे
छम- छम करती
तोतली बोली।
छम- छम करती
तोतली बोली।
माँ मुझे लादो
छोटी एक गुलिया
नन्ही मुनिया ।
माँ ने दिलाई सुन्दर -सी गुड़िया,
खेलो बिटिया ।
खेलो बिटिया ।
तू इसकी माँ
जैसे मैं तेरी मैया
समझा इसे ।
तू अब मैया
गुड़िया है बिटिया
गोदी झुला ले ।
गुड़िया है बिटिया
गोदी झुला ले ।
गुलाबी फ्राक
पहना दे इसे भी
चोटी बना दे ।
मोती की माला
पैरों में पायलिया
दिला दे इसे ।
सताए तुम्हें
जो माने ना कहना
डाँट लगाना ।
‘मैं ना खेलूँगी
गंदी है ये गुलिया’ -
गंदी है ये गुलिया’ -
बोली बिटिया ।
हँछती गाती
गले से लग जाती
तेली बिटिया ।
जो तू पुकाले
दौड़ी चली आती है
तेली बिटिया।
न ये हँछती
ना ही कुछ कहती
मेली गुलिया ।
ना ही कुछ कहती
मेली गुलिया ।
बता दो इसे
मैं भी नहीं बोलूँगी
कुट्टी है मेली ।
बीते बरस ,
बचपन भी बीता
गुडिया खोई ।
16
मेंहँदी रची
बिटिया के हाथों में
डोली भी सजी ।
17
छलका गई
भर आँसू के प्याले
बाबुल-गली ।
सूना है घर
सूनी मैया की आँखें
बाट निहारे ।
कानों में घुली
मिसरी -सी पुकार
मैया मम्मा की ।
ढूँढ़े अखियाँ
नटखट गुड़िया
खोई कहाँ रे ?
ढूँढ़े है मैया
वो नन्ही-सी गुड़िया
आले पे पड़ी।
हाथों में लेके
दुलारे पुचकारे
खिलौने को माँ ।
सीने से लगा
बेजान खिलौने को
रोए बिलखे ।
भीगा आँचल
भीग गई गुड़िया
देहरी भीगी ।
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