Sunday, June 23, 2013


भेजी  रब ने
एक नन्ही  बिटिया 
माँ की गोद में  

पायल बाँधे
छम- छम करती
तोतली बोली।

माँ मुझे लादो

छोटी एक गुलिया

नन्ही मुनिया ।

माँ ने दिलाई सुन्दर -सी गुड़िया,
खेलो बिटिया ।

तू इसकी माँ
जैसे मैं  तेरी मैया
समझा इसे ।

 

तू अब मैया
गुड़िया है बिटिया
गोदी झुला ले ।

गुलाबी फ्राक
पहना दे  इसे भी
चोटी बना दे ।

 

मोती की माला
पैरों  में पायलिया
दिला दे इसे ।

सताए तुम्हें

जो माने ना कहना

डाँट लगाना ।

 

मैं ना खेलूँगी
गंदी है ये गुलिया’ -

बोली बिटिया ।

हँछती गाती

गले से लग जाती

तेली  बिटिया ।

 

जो तू  पुकाले 

दौड़ी चली आती है

तेली  बिटिया।

 

न ये हँछती
ना ही कुछ कहती
मेली  गुलिया ।

 

बता दो इसे

मैं भी नहीं बोलूँगी

कुट्टी है मेली ।

बीते बरस ,

बचपन भी बीता

गुडिया खोई ।

16

मेंहँदी रची

बिटिया के हाथों में

डोली भी सजी ।

17

छलका गई

भर आँसू के प्याले

बाबुल-गली ।

 

सूना है घर

सूनी मैया की आँखें

बाट  निहारे ।

 

कानों में घुली 

मिसरी -सी पुकार

मैया  मम्मा की ।

 

ढूँढ़े अखियाँ

नटखट गुड़िया

खोई  कहाँ रे ?

 

ढूँढ़े है मैया

वो नन्ही-सी गुड़िया

आले पे पड़ी।

हाथों में लेके

दुलारे पुचकारे

खिलौने को माँ ।

 

सीने से लगा

बेजान खिलौने को

रोए बिलखे ।

 

भीगा आँचल

भीग गई गुड़िया 

देहरी भीगी ।

 

 

 

 

 

 

 

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