Wednesday, June 19, 2013



तुम ही मेरा रूप होतुम ही शेष गीत हो

बंसी में संगीत जैसेमन की शेष प्रीत हो।

तुम में ही गुथी हूँ मैंतुम ही आकार शेष

मैं तो जैसे हारती,, तुम ही नेक जीत हो।

पुष्प में पराग जैसेगंध का संसार तुम

मैं तो पात पीत बनीतुम ही शेष चिह्न हो।

अब तो शेष रंग गंधबंसियों सी गूंज तुम

मैं तो रीती धड़कनेंतुम ही नेह रीत हो।

अब हवा संग घुल रहीघुल के भी समा रही

मैं तो जाता प्राण हूँतुम ही तो शरीर हो।

अब तो केवल शब्द हैंपुस्तिका बनोगी तुम

मैं तो पृष्ठ-पृष्ठ हूँतुम ही मेरी जिल्द हो।

 

No comments:

Post a Comment