Wednesday, June 19, 2013


हंसती, मुस्काती , नाचती , गाती
हर्षाती, इठलाती,बतियाती,
मनाती कभी मनवाती
कौन ...... मेरी बिटिया

आंगन में खेल बड़ी हो रही
रुनझुन करती, कुनमुन करती
भाई की सूनी कलाई को
राखी के धागे से सजाती
चारों ओर खुशियाँ बिखराती
कौन ......मेरी बिटिया |

घर की रौनक को बढाती
अंधियारे मन में दिया जलाती
तीज-त्यौहार उसके आसरे
झनन-झनन सा नाच दिखाती
चिड़िया सी कलरव करती
कौन......मेरी बिटिया

दुःख में मेरे  सुख छनकाती
तप्त मस्तक पे ओस टपकाती
पल पल पल पल बढती जाती
इक दिन बेगानी हो जाएगी
मनन गहन कराती जाती 
कौन ......मेरी बिटिया

कितनी अपनी  पराई होगी
तब उसकी स्मृतियाँ नाचेंगी
उसको आँचल में लेने को
दिल कितना मचलाएगा
मन की परतों तक रुलवाती
कौन ...... मेरी बिटिया
बेटी- सुन्दरतम रचना जीवन की
कैसी व्यथा है उनके मन की
जो खुद को ही छल लेते है
जग में आने से पहले ही हत्या बेटी की कर देते है
बिन बेटी घर शापित करवाती
कौन ...... मेरी बिटिया |

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